कभी हम चले जाएं कभी तुम चले जाओ। कभी हम चले जाएं कभी तुम चले जाओ।
जिस्म के बनावटी इत्र का मुरदीद होकर। ग़ज़ल अपनी तुझको सुनाना। जिस्म के बनावटी इत्र का मुरदीद होकर। ग़ज़ल अपनी तुझको सुनाना।
बस मिलता रहा प्रलोभन सत्तर साल से नहीं बदला, आम आदमी का जन -जीवन वही भाग -दौड़ निर्व बस मिलता रहा प्रलोभन सत्तर साल से नहीं बदला, आम आदमी का जन -जीवन वही भ...
आओ महीनो आओ घर आओ महीनो आओ घर
कभी फुर्सत मिले तो, मुझको याद कर लेना कभी फुर्सत मिले तो, मुझको याद कर लेना
प्यार का क्या है! प्यार का क्या है!